नज़्म

ऐ मेरी माँ

ऐ मेंरी माँ मुझे सीने से लगाने वाली
मेंरे हर नाज़ को पलकों पे उठाने वाली
मुझको दुनिया के गुलिस्तान में लाने वाली
मुझको दुनिया के उजालों को दिखाने वाली।

उंगलियां थाम मुझे चलना सिखाने वाली
मैं जो गिर जाऊँ तो फिर मुझको उठाने वाली।

मुझको सच्चाई की राहों पे चलाने वाली
ग़लतियां करने पे फिर डाँट लगाने वाली।

सर्द रातों की हवाओं से बचाने वाली
अपने हिस्से की रज़ाई को ओढ़ाने वाली।

लोरियां गाके मुझे नींद में लाने वाली
देवों-परियों के शहृ मुझको घुमाने वाली।

मुझको दुनिया की बलाओ से बचाने वाली
मेरी हर चोट पे ऐ अश्क बहाने वाली!!

तुझको बचपन से ही कम सोते हुए देखा है
अपने बच्चों के लिए रोते हुए देखा है।

उठ के रातों के अँधेरों में नमाज़ें पढ़ना
अपने बच्चों की हिफ़ाज़त की दुआएँ करना।

कितने सदमात उठाकर हमें पाला तूने
ग़म उठाकर भी ज़माने के सम्हाला तूने

माँ  तेरे प्यार का दुनिया में कोई मोल नहीं
कौन सी शय है तू जिसके लिए अनमोल नही।


               शायरा अतिया नूर
मेट्रो लाइव न्यूज़ दिल्ली 9458415131
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