Articles by "साहित्य कविता"
Showing posts with label साहित्य कविता. Show all posts

मन विचलित हो जाता है मेरा मन विचलित हो जाता है मेरा ऐसे लोगों से।। जो घिरे हुए हैं ईर्ष्या, निंदा, और चुगली जैसे रोगों से।। उन लो...

Read more »

” माँ “ बेसन की सोंधी रोटी पर, खट्टी चटनी जैसी माँ याद आती है चौका, बासन, चिमटा, फूंकनी जैसी माँ बांस की खुर्री खाट के ऊपर, हर आहट प...

Read more »

नज़्म ऐ मेरी माँ ऐ मेंरी माँ मुझे सीने से लगाने वाली मेंरे हर नाज़ को पलकों पे उठाने वाली मुझको दुनिया के गुलिस्तान में लाने वाली मुझको...

Read more »

हे राजनीति के गुडाकेश मोदी माधव हे महादेश! तुमसे अब विश्व सुपरिचित है, तुमसे भारत अब चर्चित है।। तुमसे प्रसन्न हैं राम- कृष्ण तुमसे प...

Read more »