लॉक डाउन में घर पर रहकर ही करे इबादत : हाजी मंसूर 



धौलाना (हापुड़) कोरोना वायरस जैसी जानलेवा, भयावह और खतरनाक बीमारी के कारण विश्व भर में लॉक डाउन चल रहा है। भारत में भी 40 दिवसीय लॉक डाउन के कारण घरों से बाहर निकलना जान पर खतरा बना हुआ है। उधर 24 या 25 अप्रैल से मुसलमानों का पवित्र महीना भी रमजान शुरू होने जा रहा है। पहली बार ऐसा होगा कि मुस्लिम धर्म के लोग अपने घरों पर ही इबादत करते हुए विशेष नमाजों अर्थात तरावीह भी घरों पर ही अदा करेंगे। जनपद हापुड़ स्थित धौलाना विकासखंड के ग्राम पिपलैडा के ग्राम प्रधान शाहनुमा और उनके पति हाजी मंसूर अली ने ग्रामीणों से अपील करते हुए कहा है कि इस बार लोग घर पर ही इबादत करें। मस्जिदों या अन्य  स्थानों पर बिल्कुल भी भीड़ जमा न करें। उन्होंने बताया कि कोविड-19 के चलते सरकार, धार्मिक मौलाना, इमाम और मुफ्तियों ने अपने फतवे में स्पष्ट किया है कि इस बार मुसलमान  रोजे रख कर नमाज, तरावीह, कुरआन शरीफ़ की तिलावत और दूसरी इबादत अपने घरों पर रहकर ही पूरी करें। हाजी मंसूर अली का कहना है कि सभी मुसलमान अपने साथ-साथ अपने पड़ोसी तथा अन्य गरीबों का भी विशेष ध्यान रखें। ज़कात, फितरा और सदका भी इस महीने में गरीबों को दान कर दें। दूसरों के जरूरतों में काम आएं।

          ग्राम प्रधान मनसूर अली ने बताया कि सरकार के निर्देशानुसार मस्जिदों के इमाम भी पाबंदी जारी रखें। युवक सड़कों पर न टहलें। हाजी का कहना है कि रमजा़न के पहले अशरे में कुदरत की तरफ से बरकतें हासिल होती हैं। रमजान आने से पहले ही बड़े शैतानों को कैद कर लिया जाता है। इसलिए मुसलमान अपने वास्तविक रूप से अच्छे कर्म करने पर लौट आते हैं। मुसलमान सभी बुरे कर्मों को छोड़कर अच्छे कार्यों की तरफ लौट आते हैं। इस्लाम मजहब के मुताबिक रोजे के साथ-साथ नमाज पढ़ना और कुरान शरीफ की तिलावत करना हमारा महत्वपूर्ण मकसद है। यह काम हम घरों पर रहकर कर सकते हैं।  ईमान पर बाकी रहने वाले सभी बालिग युवक-युवतियों पर रमजान के 30 रोज़े फ़र्ज़ हैं। हाजी मंसूर अली का कहना है कि अच्छा समय है कि लोग घरों पर रह कर ही अपने रोजे पूरे कर लें। स्वस्थ लोगों को रोजे छोड़ना गुनाह है। शाम को अफ़तारी करने से पहले जन्नत की तलब करते हुए जहन्नुम से खुलासी, कोविड-19 के चलते कोरोनावायरस को दुनिया से हमेशा के लिए समाप्त होने की दुआ करें। इसके साथ ही देश में अमन और शांति की भी दुआयें किया करें।
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