स्मृति शेष - पुण्यतिथि पर विशेष
                शिव कुमार गोयल
      यादें अतीत की -  सफर यादों का
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बांधू तुमको शब्दों में
                  इतनी     मेरी  सामर्थ    कहां
 गुरुवर निवेदन इतना है
                   शब्दांजलि मेरी स्वीकार करो




देवेन्द्र सिसोदिया 'देव मित्र'
पत्रकार एवं लेखक

     ✍🏻 संत साहित्य के सुप्रख्यात लेखक गृहस्थ संत भक्त रामशरणदास  के घर 31 अक्टूबर 1938 को जन्में उनके ज्येष्ठ पुत्र शिव कुमार गोयल गुरुवर की पावन स्मृति सदैव हदृय पर अंकित है।
                  बहुआयामी जीवन में मिशनरी पत्रकारिता  का धर्म निभाने वाले हैंडलूूूम नगरी पिलखुवा निवासी सद गृहस्थ संंतभक्त राम शरण दास के संस्कारित पुत्र शिवकमार गोयल ने अपने जीवन में सादगी, सरलता, साफगोई, स्वाभिमान एवं कर्तव्य निष्ठा के साथ समाज में अपने कर्तव्य का निर्वहन किया। वह अपने कर्म क्षेत्र में सदैव निर्विवाद रहे। ऐसे व्यक्तित्व को शब्दों में बांधना ठीक सूरज को दीप  दिखाने जैसा ही होगा ।

जीवन पर्यंत संघर्षों से जूझते हुए वह कर्म के प्रति जागरूक निष्पक्ष निर्भीक निष्ठावान  एवं कर्तव्य परायण रहे।पिताश्री से मिले  राष्ट्रभक्ति - धर्मअनुरक्ति के संस्कार और लेखन की कला से गुरुवर ने साहित्य जगत में अनूठी छाप छोडी जिससे उनका कृतित्व और व्यक्तित्व  अमर हो गया।
                   राष्ट्रवादी-धार्मिक- साहित्यिक- सामयिक विषयोँ पर 55 पुस्तकें तथा हजारों लेख ,सैंकडो, गुमनाम, अज्ञात, स्वतंत्रता सेनानियों,राष्ट्रभक्त चिन्तकों , सन्तों के साक्षात्कार लेकर जन-जन तक पहुंचाने और क्रान्तिकारियोँ - राष्ट्रभक्तों- विद्वानों को प्रकाश में लाने का महती कार्य सदैव चिरस्मरणीय रहेगा। उनके अनेक लेख निबंध, रिपोर्ताज टिप्पणियां ,उनकी कथा ,कहानियां ,बाल -गीत देश के प्रतिष्ठित पत्र पत्रिकाओं में निर्बाध रुप से प्रकाशित हुए ।
                                 उन्होंने स्वयं पिलखुवा से धर्मदूत समाचार पत्र का प्रकाशन किया ।अमर उजाला समाचार पत्र में धर्म क्षेत्रे कॉलम ने लाखों लोगों के जीवन को महकाया। उन्होंने धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार पर बल देकर  हिंदू समाज को एकता के सूत्र में पिरोया।
      धर्म के प्रति आस्थावान लोगों में नई चेतना जागृत करने में वह सदैव प्रयत्न शील रहे। उनकी धर्म के प्रति रुचि से देश के प्रखण्ड पांडित्यों, जगदगुरुओ, मूर्धन्य कवियों, साहित्यकारो का झुकाव  उनके  प्रति रहा ।
        स्वामी कृष्णबोधाश्रम महाराज, स्वामी करपात्री , योगीराज श्री देवरहा बाबा, महंत दिग्विजयनाथ  , स्वामी भक्तिवेदान्त प्रभुपाद , स्वामी निरंजनदेव सरस्वती, श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार ' भाई जी', महंत अवेद्यनाथ जी, राष्ट्रकवि मैथिलीशरण गुप्त, पंडित बनारसीदास चतुर्वेदी, श्री वि. स. विनोद, पूर्व प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री,
अटलविहारी वाजपेयी, रज्जू भैया  जैसे महान राष्ट्रभक्त चिन्तकों, विद्वानों का  आशीष आप पर रहा।
           आपके द्वारा लिखित धार्मिक और आध्यात्मिक पुस्तकों में धर्म, संस्कृति और नैतिकता को नए आयाम दिए गए । समाचार पत्रों में वह धार्मिक पत्रकारिता के प्रति भी सजग रहें ।  मुझे करीब दो दशक तक उनका आशीष मिलता रहा उनके सानिध्य में  धर्म संबधी धार्मिक समाचारों को लिखने का कौशल मिला।आपके निर्देश  आज भी  स्मरणीय है । आपसे भेंट कराने  के लिए मैं परम मित्र व वरिष्ठ पत्रकार अनिल तोमर के प्रति मैं कृतज्ञ हूं। पत्रकारिता के क्षेत्र में अनेक लोगों के सफल मार्गदर्शक बने पूज्य गुरुदेव ने जिस बेबाकी से मार्गदर्शन कर पत्रकारिता के गुर सिखाए ऐसी  कृपा विरले ही बरसाते है।
            उनकी छवि मुझे उनके ज्येष्ठ पुत्र नरेन्द्र गोयल जी में  दिखती है ।  जिनके साथ मुझे करीब एक दशक तक प्रतिष्ठित समाचार पत्र संस्थान अमर उजाला में रहने का सौभाग्य मिला ।
                              मेरे मार्गदर्शक गुरूजी
राज कौशिक जी के प्रति उनका असीम प्यार भी मुझे उनकी याद दिलाता है । गुरुवर गोयल जी द्वारा  दिया  सूत्र कि पत्रकारिता में पत्रकार को जागरूक रहकर जनता के दुख- दर्द में वैचारिक रुप से शरीक हो कर के मन से भागीदारी करनी चाहिए ।
        समाचार संप्रेषण के दौरान धैर्य धारण करने वाला ही निष्पक्ष तरीके से कार्य कर सकता है ।समाचार  लिखने के दौरान किसी के प्रति द्वेष भाव मत रखो। संकीर्णता से सदैव दूर रहकर पत्रकार के धर्म को निभाते रहना ही सच्चे और अच्छे पत्रकार के गुण है।
        इन्ही वाक्यों को आत्मसात करने वाले शिव कुमार गोयल जी को आधुनिक पत्रकारिता में व्यापक व्यवसायिकता के कीटाणु अंतिम  समय तक  छू नही पाए ।
                 वास्तव में वह अपने  मिशन के प्रति पूरी तरह सर्मपित होकर पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों का संरक्षण करते रहे। राष्ट्रपति डाँ ए.पी.जे. अब्दुल कलाम द्वारा ' गणेश शंकर विद्यार्थी पत्रकारिता पुरस्कार ' प्रदान किया जाना आपके पत्रकारीय जीवन में पत्रकारिता के नैतिक मूल्यों का सम्मान है।
          29  अप्रैल 2019 को गुरुवर इस नश्वर शरीर को त्याग वैकुंठ सिधार हमें संदेश देकर चले गए कि "नेकियां साथ चलती हैं संग चोले नही जाते"

 इति श्री

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