न्यारे बच्चे

हम बच्चे हैं जग से न्यारे, अपनी धुन में रहते हैं।

मन मर्जी की करते हरदम,खुद को राजा कहते हैं।


अम्मा की गोदी है प्यारी,ममता सदा लुटाती जो।
बाबू जी की डाँट है भाइ, सत पथ हमें सिखाती जो।
भाइ- बहन से हँसी ठिठोली, हम सब करते रहते हैं।
हम बच्चे हैं जग से न्यारे..............।।

गुल्ली डंडा, गेंद अरु बल्ला,खेल-खेलते मस्ती में।
शोर- शराबा, हल्ला गुल्ला,सबब बना है बस्ती में।
मित्र सभी लगते हैं प्यारे, नेह भाव हम रखते हैं।
हम बच्चे हैं न्यारे.....................।।

बंदिश हमको बहुत डराती, दूर गगन  छूना चाहें।
पैसों की परवाह नहीं है, प्यार सदा  दूना चाहें।
लुक्का छीपी आँख मिचौली,खेल भी हमको फबते हैं।
हम बच्चे हैं जग से न्यारे.............।।

ईर्ष्या, द्वेष, बैर, बुराई , हम मन में न लाते हैं।
मौज भरी हम बातें करते, गीत खुशी के गाते हैं।
पानी में हम नाव चलाते, यशमय बातें करते हैं।
हम बच्चे हैं जग से न्यारे..............।।

पढ़ लिख कर सैनिक बन जाएँ,ऐसी मंशा रखते हैं।
देश प्रेम हर प्रेम से ऊँचा, भारत की जय करते हैं।
बाल दिवस पर बाल रूप हम, *यश*  आशाएँ धरते हैं।
हम बच्चे हैं जग से न्यारे...........।।
*यशपाल सिंह चौहान*

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